Thursday, February 4, 2021

Meena history Real

 *MEENA History -मीणा इतिहास*।। 

 *मीणा राजाओ की राजधानी आमेर रही थी*। 

राजस्थान में कुल33जिले है।इनमें  प्राचीन काल में *आधे से अधिक रियासतों की स्थापना मीणा राजाओ* ने की थी।10वी सदी के बाद बाहर आयें राजपुतों ने मीणाओ के किले, महलो,मंदिरो,बावडियो के अलावा। कुल, गोत्र, वंशावलियां अपने नाम कर ली गई।और नष्ट व छिपा दी गई। 

*मीणा क्षत्रिय* जाति की गौरवशाली रियासतों की जानकारियाँ।। 

1. *आमेर-जयपुर* - स्थापना ई.पुर्व *अंबा मीणा*, गोत्र उषारा।दुसरी सदी सन् 164में *राव भरत* व कुंतल देव मीणा(सुसावत)के वंशजों ने *सन्1207* तक राज किया। 


*आमेर 52मीणा राजाओं की प्रधान राजधानी रही थी*। 


गैटाराव मीणा-गैटोर,झौटा राव-झोटवाडा़। सोडाराव-सौडाला,जामा मीणा-जामडो़ली,ये बड़गौती गोत्र के राजा थे। खो घाटी,आमागढ़,नाहरगढ़,मोतीडुंगरी का किला-चांदा गोत्र के *मीणा राजा* के थे । 

आमेर के उत्तर में सिस्यावास,नींदड़ बैनाड़-बैनाडा़ गोत्र के *मीणा राजा* थे । 

ढंढ़ खोरा-मांडयां व मेवाल गोत्र के मीणा राजा। 

नायला -देवड़वाल गोत्र के मीणा राजा। बस्सी-बीदाजी मीणा ब्याडवाल।नईनाथ में बादा राव मीणा, गौत्र- गौमलाडू।टोडा मीणा-बैनाडा़। विराट नगर बैराठ।बांसखो में -ध्यावणा।

मांच नगरी-रामगढ़ में सींहरा गोत्र के मीणा राजा रहे थे ।और भी सैकड़ों कई नाम है.......

सन् *1207* में राजपुतों ने धोखे से आमेर के राजा, *सूरसिंह मीणा* के पुत्र भानोराव को दूल्यराय के पौत्र मेकुलदेव कच्छावा ने आमेर छीना। 

2. *बुंदी*  की स्थापना *बुंदा मीणा* गोत्र ऊषारा।आमेर से आकर दुसरी सदी में सन्164 में राज स्थापित किया। *24 जुन सन् 1242* में धोखे से *देवा हाडा़ ने जैतसिंह मीणा* से राज छीना। 

3. *चित्तौड़गढ़*  स्थापना ई.पुर्व मीणा राजा *चित्रांगद मोरी* ने गौत्र- मोरी, मुराड्या,चीत्ता,अंतिम मीणा राजा *मानमोर* मीणा को धोखे से बप्पा रावल ने मारकर *सन् 934* में राज छीना। 

3. *अजमेंंर* स्थापना,मेर मीणा राजा, *अजय राज* = अजय मेर ने दुसरी सदी में गोत्र-गोमलाडु बाद में चौहान में परिवर्तित धोखे से राज छीना। 

4. *रणथंभौर* स.माधोपुर ,ई. पूर्व स्थापना ,रणतऔर भंवर नाम के दो *मीणा* भाइयों ने गौत्र- *टाटू* । 

जुहार सिंह टाटू *हम्मीर देव टाटू प्रसिद्ध मीणा राजा हुए*।राजपुतों ने इन्हें चौहान बताया गया *सन् 1312* में राज गया।अलाउद्दीन खिलजी और राजपुतों के धोखे के शिकार हुए। 

4. *कोटा*  बुंदी का ही हिस्सा था। कोटा की स्थापना 7वीं सदी अकेले गढ़,आसलपुर,भंवरगढ़ के *भील-मीणा* राजाओ ने की थी।सन् *1264* में जैतसिंह हाडा़ ने धोखे से *कोटीया भील-मीणा*, को मारकर कोटा की स्थापना की।

5. *बाड़मेर* की स्थापना *बाढ़देव मीणा* ने गौत्र-ब्याडवाल। 

6. *जैसलमेर* की स्थापना 

जैसल देव मीणा ने, गौत्र- ब्याडवाल। 

7. *जालौर* की स्थापना 

जाला मीणा ने 

8. *बांरा* शाहबाद में रणथंभौर के *टाटु* गौत्र के मीणा राजा रहे थे । 

9. *झालावाड़* *मनोहर थाना*  *मीणा राजा चक्रसेन* को कोटा के भीमसिंह हाडा़ ने सन् 1618में धोखे से हराया। 

10. *बांसवाडा़*  *बांसा मीणा* ने स्थापना की ।डूँगरपुर के उदयसिंह के पुत्र जगमाल ने हराया। 

11. *डूँगरपुर* की  स्थापना। *डुंगा मीणा*- डूंगरियां मेर ने। इसे चित्तोड़ के राजा रत्नसिंह के पुत्र महिप ने हराया। 

12. *प्रतापगढ़* की स्थापना *भाभरियां मेर मीणा* ने की थी।1560 में बीका सिसोदियां ने हराया। मीणा राजा भाभरियां की रानी देऊ- *देवली मीणी* की चोटी आज भी प्रतापगढ़ के महलो में पुजी जाती हैं। 

15. *अलवर* की स्थापना।नरैठ ,नेहडा़ में *ब्याडवाल* गौत्र के मीणा राजाओ ने की थी। राजोरगढ़,क्यारा,थानागाजी पर मैवाल गौत्र- के मीणा राजा। 

16. *दौसा* की  स्थापना। 

दोसाराव मीणा ने। गौत्र- बैफलावत। 

17. *करौली* की स्थापना 

दमाच्या गौत्र के मीणा राजा ओ ने। 

18. *सिरोही* गोड़वाड़, गौड़ गौत्र के मीणा राजा ओ ने। यहाँ के मीणा राजा को मेवाड़ के रायमल के पुत्र पृथ्वीराज ने हराया। 

19. *पाली* की स्थापना पाली मीणा ने गौत्र- चांदा। 

20. *टोंक* बनास नदी का क्षेत्र खेराड़ कहलाता था। यहाँ *बरड़* गौत्र के मीणा राजाओ का राज था। महाराणा प्रताप के भाई जगमल ने हराया। 

21. *कुंभलगढ़,उदयपुर* प्राचीन नाम *कुशलगढ़* कटारा गौत्र- के मीणा राजा, *कुशला मीणा*  ने स्थापना की।बाद में 16वीं सदी में चित्तोड़ के कुंभा ने अधिकार कर कुंभलगढ़ नाम रखा। 

22. *नागौर* नाडोल 10वीं सदी तक चांदा गौत्र- के मीणा राजा। 

1509 में मीणा राजा भोमपाल को हराया। 

23. *भीलवाडा़* की स्थापना 

भील-मीणा गौत्र- के मीणा राजाओं ने की थी। 

24. *हनुमान गढ़* पर 11वीं सदी तक मीणावंशीय राजाओ ने राज किया था। 

इसके अलावा मीणा क्षत्रियो ने मध्यप्रदेश,गुजरात,यूपी,हरियाणा,दिल्ली और पाकिस्तान तक विशाल भुभाग पर राज किया गया था। 

जागो की बहियो और राजस्थान के राजाओ के पोथीखानो में मीणा इतिहास की  मौजूदगी हैं *मीणा राजाओ का इतिहास ऋग्वेद, महाभारत काल, बौद्ध, जैन काल से 16वीं शताब्दी तक राज करने की जानकारियाँ मौजूद हैं। विजेता शासको द्वारा दुर्भावनावश छिपा दिया गया है*। 


जय मीनेष।। 🙏🙏

राम-रामजी।। 🙏🙏

हेमराज मीणा

Monday, February 25, 2019

New meena geet

 1. थारी एक नजर दिल लेगी जद थारी ओड़ी झांख्यो छो...।।
खुद की सारी सुध बुध भूल्यो अस्यो तोसू प्यार राख्यो छो...।।।

2. नयो बणा लियो आशिक अब थारो प्यार बंटगो...।। 
जानू म्हारी मोहब्बत के ऊपर सू म्हारो विश्वास हटगो...।।।

3. सैसा आवह छ रोस अब जीबा सू अणगो...।।।
छोरी तोन्ह जी दिन सू ठुकरायो जिन्दी लाश बणगो...।।।

4. झूठी सौगन खाई छी ने झूठा वादा बणाया...।।।
थारी म्हारी मोहब्बत की स्टोरी बहगी भावना माया..।।।

5. छुरी चलाई धोखा सू खून म्हारो पाणी सो बहरो ...।।।
पागल थारह बन्या कुण देवह दिल का गेट पे पहरो...।।।

6. जे सोची जे कोन्य हुई नह सोची जे हैगी...।।।
छोरी तोन्ह कत्ल करयो मोहब्बत को दर्द दिलदार कू देगी...।।।।

7. छोड दियो तोनह साथ किया वाणी मंजिल तक पहुँचू...!!!
दीखह चारयू मेर अंधेरो दीवानी जद डीपली सोचू...!!!!

8. याद करू जद दिल रोवह छ थारी बाता की...।।।
अरी बावड़ी कुणका हक में हैगी देख लकीर हाथा की...।।।


9. ऊपर वाड़ो ई जाणह मैं तोनह कतरो चावह छो...।।।
छोरी मैं खुशी में जश्न मनावो जन्दाड़ै थारो फोन आवै छो...।।।

10. कद आवेगी मोसू मिलबह इया वाणी फिर फिर झांको छो..।।।
मरते दम तक साथ निभातो अस्यो तोसू प्यार राखो छो...।।।

11. कोन्य डट्या ने आंसू म्हारी आँख में आगा...।।
गम की परछाई का बादल थारा म्हारा प्यार पे छागा...।।।

12. दर्द भरया ढाँचा सू बोझ काई हल्को है छ के...।।।
हरक्या कहर परायो गई र वा अब आपणी है क...।।।
#मण्डावत
[2/24, 5:51 PM] Raju Chandpura: 1. पहली नजर में जान ई दिल है गियो तेरो...।। 
तीखी तीखी झांकी हाथ हिलागी हाल बिगाड़गी मेरो...।।।

2. तू आशिक आवारो पागल लागह छ मोनह...।।
छोरा चाह लाख जतन कर लीज्यो तोय दिल दे सकू कोनह...।।।

3. थारह लिया तो जान रूख तूफाना का मोडूंगों...।।।
छोरी तू मंजिल ई दिल की तोय अपणार छोडूंगो....।।।

4. आशिकी को आशिक लव पे ध्यान धरह छ...।।।
मोहब्बत करबा बेई पढबाला मोनह क्यू मजबूर करह छ..।।

5. प्यार में बदनाम करा दियो दूर घरसू...।।
तेरी वाली मोहब्बत बेई पढबाली मैं दिन रात तरसू...।।।

6. जाणगी पढबाला तू भी मोनह कतरो चावै छ...।।।
दिल कू कद रिप्ले देवेगी अया मैसेज आवै छ...।।।

7. धन दौलत तुई मेरी तुई छ ने प्यार को जाड़ो....।।।
छोरी तू आबासू खुलगो मेरी तकदीर को ताड़ो...।।।।

8. छोडदी ने पढबाला परवाह ई जमाना की...।।।
म्हारो दिल अब सू थारो हैगो कदर कर दोस्ताना की...।।।

9. आपणोपन आगो जानू साथ रहबा सू...।।।
दिल सू दिल की फीलिंग जुड़गी दोई अल्फाज कहबा सू...।।।

10. आताई थारो फोन आशिक लागगी चाडह...।।।
थारी मोहब्बत वायरल हैगी सोशल मीडिया माडह...।।।।

11. सहस तरह की बात ज्यापै ध्यान धरबो...।।
छोरी तोकू ई दिल ने अपणाली परवाह छोड करबो...।।।

12. प्यार का लिखेड़ा खत ने डागले बाँचै...।।।
आशिक घर छोडर भाग्याई छी थारा विश्वास के पाछै...।।।

13. हर मुश्किल हल हैज्या देखर चेहरा तेरा कू...।।।
छोरी आपा चला चांद सू पार पकड़ले हाथ मेरा कू...।।।।
#Meena geet tigers Jaipur 

Sunday, December 2, 2018

meena modern history

मध्ययुगीन इतिहास
प्राचहिन समय मे मीणा राजा आलन सिंह ने,एक असहाय राजपूत माँ और उसके बच्चे को उसके दायरे में शरण दि। बाद में, मीणा राजा ने बच्चे, ढोलाराय को दिल्ली भेजा,मीणा राज्य का प्रतिनिधित्व करने के लिए। राजपूत ने इस् एहसान के लिए आभार मे राजपूत सणयन्त्रकारिओ के साथ आया और दीवाली पर निहत्थे मीनाओ कि लाशे बिछा दि,जब वे पित्र तर्पन रस्में कर रहे थे।मीनाओ को उस् समय निहत्था होना होता था। जलाशयों को"जो मीनाऔ के मृत शरीर के साथ भर गये। "[Tod.II.281] और इस प्रकार कछवाहा राजपूतों ने खोगओन्ग पर विजय प्राप्त की थी,सबसे कायर हर्कत और राजस्थान के इतिहास में शर्मनाक।
एम्बर के कछवाहा राजपूत शासक भारमल हमेशा नह्न मीना राज्य पर हमला करता था, लेकिन बहादुर बड़ा मीणा के खिलाफ सफल नहीं हो सका। अकबर ने राव बड़ा मीना को कहा था,अपनी बेटी कि शादी उससे करने के लिए। बाद में भारमल ने अपनी बेटी जोधा की शादी अकबर से कर दि। तब अकबर और भारमल की संयुक्त सेना ने बड़ा हमला किया और मीना राज्य को नस्त कर दिया। मीनाओ का खजाना अकबर और भारमल के बीच साझा किया गया था। भारमल ने एम्बर के पास जयगढ़ किले में खजाना रखा ।
कुछ अन्य तथ्य
कर्नल जेम्स- टॉड के अनुसार कुम्भलमेर से अजमेर तक की पर्वतीय श्रृंखला के अरावली अंश परिक्षेत्र को मेरवाड़ा कहते है । मेर+ वाड़ा अर्थात मेरों का रहने का स्थान । कतिपय इतिहासकारों की राय है कि " मेर " शब्द से मेरवाड़ा बना है । यहां सवाल खड़ा होता है कि क्या मेर ही रावत है । कई इतिहासकारो का कहना है किसी समय यहां विभिन्न समुदायो के समीकरण से बनी 'रावत' समुदाय का बाहुल्य रहा है जो आज भी है । कहा यह भी जाता है कि यह समुदाय परिस्थितियों और समय के थपेड़ों से संघर्ष करती कतिपय झुंझारू समुदायों से बना एक समीकरण है । सुरेन्द्र अंचल अजमेर का मानना है कि रावतों का एक बड़ा वर्ग मीणा है या यो कह लें कि मीणा का एक बड़ा वर्ग रावतों मे है । लेकिन रावत समाज में तीन वर्ग पाये जाते है -- 1. रावत भील 2. रावत मीणा और 3. रावत राजपूत । रावत और राजपूतो में परस्पर विवाह सम्बन्ध के उदाहरण मुश्किल से हि मिल पाए । जबकि रावतों और मीणाओ के विवाह होने के अनेक उदाहरण आज भी है । श्री प्रकाश चन्द्र मेहता ने अपनी पुस्तक " आदिवासी संस्कृति व प्रथाएं के पृष्ठ 201 पर लिखा है कि मेवात मे मेव मीणा व मेरवाड़ा में मेर मीणाओं का वर्चस्व था।
महाभारत के काल का मत्स्य संघ की प्रशासनिक व्यवस्था लौकतान्त्रिक थी जो मौर्यकाल में छिन्न- भिन्न हो गयी और इनके छोटे-छोटे गण ही आटविक (मेवासा ) राज्य बन गये । चन्द्रगुप्त मोर्य के पिता इनमे से ही थे । समुद्रगुप्त की इलाहाबाद की प्रशस्ति मे आ...टविक ( मेवासे ) को विजित करने का उल्लेख मिलता है राजस्थान व गुजरात के आटविक राज्य मीना और भीलो के ही थे इस प्रकार वर्तमान ढूंढाड़ प्रदेश के मीना राज्य इसी प्रकार के विकसित आटविक राज्य थे ।
वर्तमान हनुमानगढ़ के सुनाम कस्बे में मीनाओं के आबाद होने का उल्लेख आया है कि सुल्तान मोहम्मद तुगलक ने सुनाम व समाना के विद्रोही जाट व मीनाओ के संगठन ' मण्डल ' को नष्ट करके मुखियाओ को दिल्ली ले जाकर मुसलमान बना दिया ( E.H.I, इलियट भाग- 3, पार्ट- 1 पेज 245 ) इसी पुस्तक में अबोहर में मीनाओ के होने का उल्लेख है (पे 275 बही) इससे स्पष्ट है कि मीना प्राचीनकाल से सरस्वती के अपत्यकाओ में गंगा नगर हनुमानगढ़ एवं अबोहर- फाजिल्का मे आबाद थे ।

रावत एक उपाधि थी जो महान वीर योध्दाओ को मिलती थी वे एक तरह से स्वतंत्र शासक होते थे यह उपाधि मीणा, भील व अन्य को भी मिली थी मेर मेरातो को भी यह उपाधिया मिली थी जो सम्मान सूचक मानी जाती थी मुस्लिम आक्रमणो के समय इनमे से काफी को मुस्लिम बना...या गया अतः मेर मेरात मेहर मुसमानो मे भी है ॥ 17 जनवरी 1917 में मेरात और रावत सरदारो की राजगढ़ ( अजमेर ) में महाराजा उम्मेद सिह शाहपूरा भीलवाड़ा और श्री गोपाल सिह खरवा की सभा मेँ सभी लोगो ने मेर मेरात मेहर की जगह रावत नाम धारण किया । इसके प्रमाण के रूप में 1891 से 1921 तक के जनसंख्या आकड़े देखे जा सकते है 31 वर्षो मे मेरो की संख्या में 72% की कमी आई है वही रावतो की संख्या में 72% की बढोत्तर हुई है । गिरावट का कारण मेरो का रावत नाम धारण कर लेना है ।
सिन्धुघाटी के प्राचीनतम निवासी मीणाओ का अपनी शाखा मेर, महर के निकट सम्बन्ध पर प्रकाश डालते हुए कहा जा सकता है कि -- सौराष्ट्र (गुजरात ) के पश्चिमी काठियावाड़ के जेठवा राजवंश का राजचिन्ह मछली के तौर पर अनेक पूजा स्थल " भूमिलिका " पर आज भी देखा जा सकता है इतिहासकार जेठवा लोगो को मेर( महर,रावत) समुदाय का माना जाता है जेठवा मेरों की एक राजवंशीय शाखा थी जिसके हाथ में राजसत्ता होती थी (I.A 20 1886 पेज नः 361) कर्नल टॉड ने मेरों को मीना समुदाय का एक भाग माना है (AAR 1830 VOL- 1) आज भी पोरबन्दर काठियावाड़ के महर समाज के लोग उक्त प्राचीन राजवंश के वंशज मानते है अतः हो ना हो गुजरात का महर समाज भी मीणा समाज का ही हिस्सा है । फादर हैरास एवं सेठना ने सुमेरियन शहरों में सभ्यता का प्रका फैलाने वाले सैन्धव प्रदेश के मीना लोगो को मानते है । इस प्राचीन आदिम निवासियों की सामुद्रिक दक्षता देखकर मछलि ध्वजधारी लोगों को नवांगुतक द्रविड़ो ने मीना या मीन नाम दिया मीलनू नाम से मेलुहा का समीकरण उचित जान पड़ता है मि स्टीफन ने गुजरात के कच्छ के मालिया को मीनाओ से सम्बन्धीत बताया है दूसरी ओर गुजरात के महर भी वहां से सम्बन्ध जोड़ते है । कुछ महर समाज के लोग अपने आपको हिमालय का मूल मानते है उसका सम्बन्ध भी मीनाओ से है हिमाचल में मेन(मीना) लोगो का राज्य था । स्कन्द में शिव को मीनाओ का राजा मीनेश कहा गया है । हैरास सिन्धुघाटी लिपी को प्रोटो द्रविड़ियन माना है उनके अनुसार भारत का नाम मौहनजोदड़ो के समय सिद था इस सिद देश के चार भाग थे जिनमें एक मीनाद अर्थात मत्स्य देश था । फाद हैरास ने एक मोहर पर मीना जाती का नाम भी खोज निकाला । उनके अनुसार मोहनजोदड़ो में राजतंत्र व्यवस्था थी । एक राजा का नाम " मीना " भी मुहर पर फादर हैरास द्वारा पढ़ा गया ( डॉ॰ करमाकर पेज न॰ 6) अतः कहा जा सकता है कि मीना जाति का इतिहास बहुत प्राचीन है इस विशाल समुदाय ने देश के विशाल क्षेत्र पर शासन किया और इससे कई जातियो की उत्पत्ती हुई और इस समुदाय के अनेक टूकड़े हुए जो किसी न किसी नाम से आज भी मौजुद है ।
आज की तारीख में 10-11 हजार मीणा लोग फौज में है बुदी का उमर गांव पूरे देश मे एक अकेला मीणो का गांव है जिसमें 7000 की जनसंख्या मे से 2500 फौजी है टोंक बुन्दी जालौर सिरोहि मे से मीणा लोग बड़ी संख्या मे फौज मे है। उमर गांव के लोगो ने प्रथम व द्वीतिय विश्व युध्द लड़कर शहीदहुए थे शिवगंज के नाथा व राजा राम मीणा को उनकी वीरता पर उस समय का परमवीर चक्र जिसे विक्टोरिया चक्र कहते थे मिला था जो उनके वंशजो के पास है । देश आजाद हुआ तब तीन मीणा बटालियने थी पर दूर्भावनावश खत्म कर दी गई थी
तूंगा (बस्सी) के पास जयपुर नरेश प्रतापसिंह और माधजी सिन्धिया मराठा के बीच 1787 मे जो स्मरणिय युध्द हुआ उसमें प्रमुख भूमिका मीणो की रही जिसमे मराठे इतिहास मे पहली बार जयपुर के राजाओ से प्राजित हुए थे वो भी मीणाओ के कारण इस युध्द में राव चतुर और पेमाजी की वीरता प्रशंसनीय रही । उन्होने चार हजार मराठो को परास्त कर मीणाओ ने अपना नाम अमर कर दिया । तूँगा के पास अजित खेड़ा पर जयराम का बास के वीरो ने मराठो को हराया इसके बदले जयराम का बास की जमीन व जयपुर खजाने मे पद दिया गया ।

Friday, November 16, 2018

Meena geet karodi


(1) किरोडी रमेश लडेगा सपोटरा माया।

अबके महाभारत चालेगी म्हारी तहसील के माया ।।
(2) गोलमा कू देख सपोटरा मे घबरागी काया ।
मैं तो पहल पहल आई सू थारी तहसील के माया ।।
(3) निर्भय बटन दबा गोरन्ती किरोडी की गोलमा आगी .....।।
(4) नहाडू म्हेवन की सी वाट किरोडी गोलमा थारी .....।
(5) भ्रष्टाचार मिटाजा काकी थारी भगवान राखेगो .....।
(6) लाज राख बालाजी पीडी लूगडी आगी ....।
(7) पीडी लूगडी की लाज करौली की डांग राखेगी....।
(8) काकी तू आगी डांगन मे म्हारो सौभाग्य तगडो ....।
(9) दौरो करती रिहज्यो काकी सौ परसेन्ट जीतेगी....।
(10) सर्वे मे काकी जी तीस हजार सू जीती .....।
(11) घर - घर आज्यो काकी दूनिया वाट मे बैंठी ....।
(12) अनपढ गोलमा काढेगी ठसक रमेशा मीणा की .....

Meena history Real

 *MEENA History -मीणा इतिहास*।।   *मीणा राजाओ की राजधानी आमेर रही थी*।  राजस्थान में कुल33जिले है।इनमें  प्राचीन काल में *आधे से अधिक रियासत...